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"मोहब्बत-ऐ-जिंदगी "

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सुन मुसाफिर  ! जिंदगी है जिंदगी एक ही मिली है पूरी जीलो खुशी हो या गम हर पल के मजे लो सुना है आज खुदा के पास वक्त ही कहां है साथ के साथ कर्मो का हिसाब हो रहा है मौका है अच्छे कर्म बना ले I   ख्वाब पूरा नही हो अगर गम न होगा की कोशिश नई की मगर जिंदगी में अगर पूरा न होगा ख्वाब रूह का जो संस्कार बन गया वो अगले जन्म में भी होगा याद I   आधा सफर तो पूरा हो गया है अ नजाने में कर्म कर गया तू दूसरोन को खुश करने के लिए जी गया तू अब तो दिल से जीले मुसाफिर  I   तुझको तो ऊपर वाले ने बनाया है   कुछ तो अच्छा किया होगा जो इंसान का जन्म पाया है रख भरोसा अपने पर उड़ जा ऊंचा खोल के हर एक पर  I आज फिर से नई प्राथमिकीता निर्धारित कर ले जो करते हैं प्यार तुझे उनको अपने समूह में शमील कर ले जो बदल गया उसे जाने दे तू जो करते हैं कदर तेरी उनकी कीमत समझ ले तू  I पल में जिंदगी क्या फेर लेती है किसको पता गम या खुशी देती है