"मोहब्बत-ऐ-जिंदगी "
सुन मुसाफिर !
जिंदगी है जिंदगी
एक ही मिली है पूरी जीलो
खुशी हो या गम हर पल के मजे
लो
सुना है आज खुदा के पास वक्त ही कहां है
साथ के साथ कर्मो का हिसाब हो
रहा है
मौका है अच्छे कर्म बना ले I
ख्वाब पूरा नही हो अगर
गम
न होगा की कोशिश नई की मगर
जिंदगी में अगर पूरा न होगा ख्वाब
रूह का जो संस्कार बन गया वो अगले जन्म में भी होगा याद I
आधा सफर तो पूरा हो गया है
अनजाने में कर्म कर गया तू
दूसरोन को खुश करने के लिए जी गया तू
अब तो दिल से जीले मुसाफिर I
तुझको
तो ऊपर वाले ने बनाया है
रख भरोसा अपने पर
उड़ जा ऊंचा खोल के हर एक पर I
आज फिर से नई प्राथमिकीता निर्धारित कर ले
जो करते हैं प्यार तुझे उनको अपने समूह में शमील कर ले
जो बदल गया उसे जाने दे तू
जो करते हैं कदर तेरी उनकी कीमत समझ ले तू I
पल में जिंदगी क्या फेर लेती है
किसको पता गम या खुशी देती है
हर मौके पे तुझे दो विकल्प देती है
तू चुन खुशी या दर्द मर्जी तेरी है
लेकिन दर्द चुनने से किसी का कम नहीं हुआ कभी
खुशी चुनोगे तो उम्मीद बढ़ेगी तभी I
रख भरोसा अपने खुदा पर
उसने ये दिन यूहिन नई दिखाया है
कुछ तो सोचा होगा उसने जो ये मोड आया है
रख लक्ष्य को मन में
बड़ता रह जीवन में I
आज नही तो मंजिल कल मिलेगी
एक दिन तेरी भी किस्मत चमकेगी
हर दिन काबिलियत का घड़ा भर ले
खुद अपनी किस्मत आप बना ले I
सुन मुसाफिर !
जिंदगी है जिंदगी
एक ही मिली है पूरी जीलो
खुशी हो या गम हर पल के मजे लो I
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